दिवाली कब है और दिवाली क्यों मनाई जाती है? क्या है इसके पीछे कहानी - Diwali kab hai aur kyo manyi jati hai ?
दिवाली की कहानी सुनने के लिए हमारी वेबसाइट के साथ बने रहिये तोह शुरू करते है कहानी
ऐसी मान्येता है की जब भगवन श्री राम रावन का वध करके अयोध्या नगरी वापिस लौटे थे, तब अयोध्या नगरी में उनकी प्रजा ने मकानों, दुकानों की सफाई कर दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
जब बात दिवाली की आती है बच्चे से लेकर बड़े तक हर कोई एन्जॉय करता है। दिवाली का इंतजार हर किसी को रहता है क्योकी येह दिन ऐसा होता है सभी घर में सभी एक साथ होकर एन्जॉय करते है। बच्चों को पूरी फैमिली ख़ुशी से एक दूसरे को उपहार, मैसेज, इमेजेज भेज कर दिवाली की मुबारक बाद भेजते है।
दिवाली कब है
दिवाली 4 November 2021को है
दिवाली की कहानी इसके पीछे कई मान्यता ( कहानी ) है। वह कहानी यह है।
1) भगवान श्री राम अयोधया वापिस आये थे
जब भगवन श्री राम रावन का वध करके अयोध्या नगरी वापिस लौटे थे, तब अयोध्या नगरी में उनकी प्रजा ने मकानों, दुकानों की सफाई कर दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
2) श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध
दूसरी कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध दिवाली से एक दिन पहले किया था और नरकासुर के आतंक से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी तो द्वारका ( गोकुल की प्रजा ने दीपक जलाकर उनको धन्यवाद दिया।
भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का द्योतक कहा जाता है, क्योंकि वो स्वयं जल कर दुसरो को प्रकाश देता है। इसी तरह हमे बी दूसरे लोगो की मदद करनी चाहिए |
दिवाली के दिन से कुछ पहले लोग अपने घरो की सफाई करते है और दिवाली का स्वागत करते है। घर में रंगोली बनायी जाती है। बहुत सारे पकवान बनाये जाते है। घर में लोग पटाके, फुलझरिआ जलाते है और दिवाली की ख़ुशी मानते है।
Mata Laxmi JI Ki Aarti
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
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