भारत में जोशीमठ का मामला अभी देश और दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है ऐसे मे मंगलवार को धरती एक बार फिर से जोर से काँपी। दिल्ली एन सी आर समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किये गए। जहां दिल्ली मे झटकों का असर साफ तौर पर देखा गया तो वहीं उत्तर भारत में इनकी तीव्रता कुछ कम थी। ये भूकंप कोई छोटा और कमजोर भूकंप नहीं था बल्कि रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.8 मापी गयी।
नेपाल था केंद्र
अगर दुनिया की बात करें तो जापान भूकंप के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित है लेकिन ज़ब बात आती है दक्षिण एशिया की तो नेपाल भूकंप के मामले मे काफ़ी आगे है। नेपाल में कई तबाही वाले भूकंप आ चुके हैँ और इस बार भी जो भूकंप आया इसका केंद्र नेपाल था।आपको बता दें कि 5 से ऊपर की तीव्रता वाले भूकंप बड़ा नुकसान पहुँचाने में सक्षम होते हैँ। कमजोर मकान, पेड़. व अन्य जर्जर ढांचे को गिराने के लिए 5.8 तीव्रता का भूकंप पर्याप्त है। इसी वजह से ज़ब भूकंप के झटके महसूस हुए तो लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आये।
10 किलोमीटर नीचे था केंद्र
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार इस भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। इसका मतलब केंद्र बहुत नीचे नहीं था और यदि तीव्रता थोड़ी सी भी ज्यादा होती तो ये बड़ी तबाही मचा सकता था। चूँकि नेपाल भारत से जुड़ा हुआ है भारत के दिल्ली एन सी आर, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में तेज झटके महसूस किये गए। बड़ी बात यह भी है कि झटके काफ़ी देर तक महसूस किये गए यानि भूकंप का प्रभाव काफ़ी देर तक रहा।
नहीं हुआ जान माल का कोई नुकसान
राहत की बात यह है की भारत समेत नेपाल मे भी जान माल का कोई नुकसान नहीं हुआ। हालांकि नेपाल में जहाँ भूकंप का केंद्र था वहा आस पास कुछ मकान ढहे हैँ लेकिन किसी के हताहत होने कि कोई खबर नहीं मिली है। भारत में तो किसी भी प्रकार के नुकसान की खबर नहीं मिली।
कैसा आता है भूकंप?
वैसे तो भूकंप एक प्राकर्तिक घटना है जो कि आम है लेकिन मानव द्वारा धरती पर किये जा रहे लगातार अत्याचारों के कारण भूकंप के झटके अब आम है।धरती की ऊपरी सतह टैकटोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी हैँ अब ये प्लेट्स कई बार एक दुसरे की तरफ बढ़ती हैँ और आपस मे टकरा भी जाती हैँ। ज़ब ये प्लेट्स आपस मे टकराती हैँ तो बड़ी मात्रा मे ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसी ऊर्जा के कारण धरती हिलने लगती है जिसे भूकंप कहते हैँ। आपको जानकर हैरानी होंगी कि हर रोज हज़ारों भूकंप आते हैँ लेकिन उनकी तीव्रता कम होती है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि टैकटोनिक प्लेट्स लगातार हिलती रहती हैँ। ज़ब अधिक मात्रा मे प्लेट्स टकराती हैँ या बड़ी प्लेट्स टकराती हैँ तो अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है और बड़ी तीव्रता के भूकंप आते हैँ।
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